हिंदू समाज के अधिकांश लोग धर्मभीरू हैं. ऐसे लोगों की वजह से कई लोग आसिफ से आशु महाराज बन जाते हैं और तंत्रमंत्र की आड़ में वह सब करते हैं, जो सामाजिक रूप से निषेध है…

मीनाक्षी अपनी बेटी निकिता को ले कर बहुत परेशान रहती थी. इस की वजह यह कि उस की बेटी निकिता पोलियोग्रस्त थी. सन 2002 में निकिता का जब जन्म हुआ था तो उस समय वह देखने में स्वस्थ थी. जैसेजैसे वह बड़ी हुई, तब पता चला कि उसे पोलियो है. मीनाक्षी ने कई डाक्टरों से उस का इलाज कराया लेकिन वह ठीक नहीं हो सकी. निकिता 6 साल की हो चुकी थी. पोलियो का प्रभाव अब उस के शरीर पर साफ दिखाई दे रहा था. बेटी के भविष्य को ले कर मीनाक्षी चिंतित रहती थी. उसे इस बात की भी चिंता थी कि यदि निकिता ठीक नहीं हुई तो उस की शादी कैसे होगी.

क्योंकि आजकल अच्छीभली और स्वस्थ लड़की को भी उपयुक्त लड़का आसानी से नहीं मिलता, इसलिए मीनाक्षी इसी कोशिश में लगी रहती थी कि किसी भी तरह से निकिता ठीक हो जाए. गाजियाबाद के इंदिरापुरम की रहने वाली मीनाक्षी को कोई जानपहचान वाला किसी हकीम या तांत्रिक के बारे में बताता तो वह बेटी को ले कर उस के पास पहुंच जाती. बेटी के चक्कर में वह कई पंडितों, तांत्रिकों और मुल्लामौलवियों के पास गई, लेकिन निकिता ठीक न हो सकी. एक दिन मीनाक्षी ने टीवी पर आशु महाराज का कार्यक्रम देखा. आशुजी महाराज ज्योतिष विद्या के बारे में बताते थे. उन की पहचान हस्तरेखा विशेषज्ञ के रूप में थी. वह खुद को ज्योतिषाचार्य बताते थे. साथ ही अपने कार्यक्रम में लोगों की तमाम तरह की परेशानियां दूर करने के उपाय भी बताते थे. मीनाक्षी को आशुजी महाराज की बातें बहुत अच्छी लगती थीं. वह उन की बातों से बहुत प्रभावित थी.

मीनाक्षी निकिता के सही होने के चक्कर में जाने कहांकहां भागी थी. आशु महाराज की बातों से उसे उम्मीद की किरण दिखाई दी. उस ने सोचा कि क्यों न वह एक बार आशु महाराज से मिल कर बेटी के बारे में बताए. हो सकता है महाराज के आशीर्वाद से वह ठीक हो जाए. टीवी स्क्रीन से मीनाक्षी ने आशु महाराज से संपर्क करने का फोन नंबर लिख लिया. एक दिन मीनाक्षी ने उस नंबर पर फोन किया. फोन उन के आश्रम के किसी कार्यकर्ता ने उठाया. मीनाक्षी ने आशु महाराज से बात करने की इच्छा जाहिर की. कार्यकर्ता ने मीनाक्षी को अगले दिन महाराज से मिलने का टाइम बता दिया. इतना ही नहीं, उस ने उन के सेक्टर-7 रोहिणी, दिल्ली स्थित आश्रम का पता भी बता दिया. यह बात सन 2008 की है.

आशु महाराज से मुलाकात का समय निश्चित हो जाने पर मीनाक्षी बहुत खुश हुई. जिन के कार्यक्रम वह टीवी पर देखा करती थी, उन से साक्षात मिलना मीनाक्षी के लिए सौभाग्य की बात थी. अगले दिन निर्धारित समय से पहले मीनाक्षी अपनी 6 वर्षीय बेटी निकिता को ले कर आशु महाराज के रोहिणी स्थित आश्रम में पहुंच गई. काफी देर इंतजार करने के बाद उसे आशु महाराज से मिलने के लिए उन के कमरे में भेजा गया.  मीनाक्षी बेटी को ले कर आशु महाराज के कमरे में पहुंच गई. वह सुसज्जित कमरा था. अंदर गुलाब की खुशबू महक रही थी. कमरे में घुसते ही मीनाक्षी का मन खुश हो गया. आशु महाराज ने जब मीनाक्षी से उस की समस्या पूछी तो उस ने पास बैठी निकिता की परेशानी उन्हें बता दी.

आशु महाराज ने निकिता को गौर से देखने के बाद उस से कमरे में कुछ कदम चलने को कहा. दरअसल वह उसे चलवा कर यह देखना चाहते थे कि निकिता को कितनी बड़ी प्रौब्लम है, जिस से उसी के अनुसार उस का ट्रीटमेंट कर सकें. बेटी की वजह से खुद भी बनी शिकार 6 साल की निकिता भले ही पोलियोग्रस्त थी लेकिन वह थी बहुत खूबसूरत. मीनाक्षी ने बताया कि आशु महाराज ने उस से कहा था, ‘‘यह लड़की बहुत भाग्यवान है. इस का भविष्य बहुत ही उज्ज्वल है. मैं भविष्यवाणी कर रहा हूं कि एक दिन इसी की वजह से लोग तुम्हें जानेंगे. रही बात इस की बीमारी की, तो मैं मंत्रोच्चारित एक तेल दूंगा. उस तेल से तुम इस की रोजाना मालिश करना.

‘‘बीचबीच में तुम इसे आश्रम ले कर आती रहना. आश्रम में इस बच्ची के पूरे शरीर की मालिश हम अपने हाथों से ही किया करेंगे. जब हम इस की मालिश करेंगे तो इस के शरीर पर एक भी वस्त्र नहीं होना चाहिए.’’

निर्वस्त्र कर मालिश करने की बात मीनाक्षी को थोड़ी अजीब सी लगी. फिर सोचा कि यह इतने पहुंचे हुए महाराज हैं. इन्होंने यह बात कुछ अच्छा समझ कर ही कही होगी. इसलिए मीनाक्षी उन के सामने हाथ जोेड़ते हुए बोली, ‘‘महाराजजी, आप जो करेंगे हमारे भले के लिए ही करेंगे. मैं तो यह चाहती हूं कि हमारी बच्ची ठीक हो जाए. आप जैसा कहेंगे, हम करने को तैयार हैं.’’

मीनाक्षी का आरोप है कि आशु महाराज उस की बेटी को निर्वस्त्र कर उस के शरीर की मालिश करता था. सन 2013 तक यह सिलसिला चलता रहा. सन 2013 में ही दीवाली के मौके पर मीनाक्षी आशु के आश्रम में गई तो आश्रम के मैनेजर ने उसे चाय पीने को दी. चाय पीने के कुछ देर बाद मीनाक्षी को नींद सी आने लगी. उसी दौरान मैनेजर उसे आशु महाराज के कमरे में ले गया. मीनाक्षी ने बताया कि वहां आशु व उस के साथियों ने उस के साथ सामूहिक बलात्कार किया.

उस के साथ क्या हो रहा है, यह तो उसे पता था लेकिन उसे दी गई दवा के असर से वह अर्द्धमूर्छित थी. उस समय वह विरोध करने की स्थिति में भी नहीं थी. जब काफी देर बाद मीनाक्षी को होश आया तो उस के अंग दुख रहे थे. पहले वह वहां जी भर कर रोई और उस ने पुलिस से शिकायत करने की धमकी दी. इस पर बाबा ने उसे मुंह बंद रखने को कहा. साथ ही चेतावनी दी कि यदि यह बात बाहर किसी से कही तो पूरे परिवार को जान से हाथ धोना पड़ सकता है. यह भी कहा कि जिस तरह वह आश्रम में आती है, उसी तरह आती रहे. आश्रम आना बंद नहीं होना चाहिए. मीनाक्षी बाबा के रुतबे को जान चुकी थी इसलिए उस ने मुंह बंद रखने में ही भलाई समझी और वह आश्रम आतीजाती रही.

मीनाक्षी को महसूस होने लगा था कि वह आशु महाराज के शिकंजे में फंस चुकी है, जहां से निकलना आसान नहीं होगा. मीनाक्षी का आरोप है कि सन 2016 में बाबा के बेटे समर और उस के दोस्त सौरभ ने उस के साथ यौनाचार किया. पिता की तरह समर भी अय्याश था. वह यह सब सहती रही लेकिन उस ने बेटी को आश्रम लाना बंद कर दिया था. हद तो तब हो गई जब सन 2017 में समर ने उस से निकिता को आश्रम लाने को कहा. मीनाक्षी ऐसा हरगिज नहीं चाहती थी. लिहाजा इस बात को ले कर वह आशु महाराज से मिली और उस ने समर की शिकायत की.

मीनाक्षी ने बताया कि इस पर आशु महाराज ने उसे धमकाया और अपने बेटे का ही पक्ष लिया. उन्होंने मीनाक्षी से यह भी कहा कि तू मेरी गुलाम है और अब तेरी बेटी भी मेरी गुलामी करेगी. 2017 में ही होली के दिन जब मीनाक्षी रोहिणी के आश्रम में अकेली पहुंची तो उस के साथ मारपीट की गई. मीनाक्षी ने बताया कि कुल मिला कर वह आशु महाराज की कठपुतली बन कर रह गई थी. वह उस से इतना खौफजदा थी कि उस के खिलाफ कुछ बोल भी नहीं सकती थी. छलबल का खिलाड़ी था आशु उर्फ आसिफ मीनाक्षी के अनुसार, सन 2017 में आशु महाराज ने उसे और उस की बेटी निकिता को दक्षिणी दिल्ली के हौजखास के एक्स ब्लौक स्थित आश्रम में बुलाया. वहां आशु महाराज ने उसी के सामने निकिता के साथ अश्लील हरकत की.

निकिता अब कोई बच्ची नहीं रही थी, वह 15 साल की हो चुकी थी. बाबा की ये हरकतें मीनाक्षी की बरदाश्त से बाहर हो चुकी थीं. लिहाजा उस ने बाबा का विरोध किया तो बाबा ने मीनाक्षी की पिटाई करा कर उसे आश्रम से बाहर निकलवा दिया. मीनाक्षी ने इस की शिकायत हौजखास थाने में की. मीनाक्षी ने बताया कि पुलिस आशु महाराज से इतनी प्रभावित थी कि उस की रिपोर्ट तक दर्ज नहीं की. बल्कि पुलिस मामले को रफादफा करने का दबाव बनाने लगी, पर मीनाक्षी नहीं मानी. काफी भागादौड़ी और मशक्कत के बाद पुलिस ने आशु महाराज, उस के बेटे व दोस्त के खिलाफ भादंवि की धारा 376डी, 354, 506 के अलावा पोक्सो एक्ट के तहत रिपोर्ट दर्ज की. इस की जांच थाना पुलिस के बजाय क्राइम ब्रांच को सौंपी गई.

क्राइम ब्रांच ने आरोपियों की तलाश शुरू कर दी, लेकिन आरोपी न तो हौजखास वाले आश्रम में मिले और न ही रोहिणी के आश्रम में. वे सभी अंडरग्राउंड हो चुके थे. इसी बीच शाहदरा जिले के एएटीएस की टीम को आशु महाराज के बारे में गुप्त सूत्रों द्वारा सूचना मिली कि आशु महाराज उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले में एक ठिकाने पर छिपा बैठा है. इस महत्त्वपूर्ण सूचना के बाद एएटीएस की टीम ने सूचना में बताई गई जगह पर दबिश दे कर आशु महाराज को गिरफ्तार कर लिया. उच्चाधिकारियों के फैसले के बाद एएटीएस ने उसे क्राइम ब्रांच के सुपुर्द कर दिया. आसिफ उर्फ आशु महाराज ने पुलिस को बताया कि दिल्ली और देश भर में लगातार कई बाबाओं की गिरफ्तारी होने के बाद उसे इस बात का डर हो गया था कि कहीं पब्लिक उसे पकड़ कर मार न दे.

इसी दहशत की वजह से वह दिल्ली से भाग कर गाजियाबाद के अजनारा अपार्टमेंट के एक फ्लैट में जा कर छिप गया था. क्राइम ब्रांच ने उस के मोबाइल फोन, लैपटाप और अन्य इलेक्ट्रौनिक गैजेट बरामद कर जांच के लिए फोरैंसिक लैब भेज दिए हैं. पुलिस ने 14 सितंबर को उसे कोर्ट में पेश कर 3 दिनों के पुलिस रिमांड पर लिया. इस के अलावा आसिफ के बेटे समर को भी पूछताछ के लिए बुलाया. कई घंटे की गहन पूछताछ के बाद उसे भेज दिया गया. पुलिस समर के दोस्त सौरभ से भी पूछताछ करेगी.

क्राइम ब्रांच इस बात की भी जांच कर रही है कि कहीं आसिफ ने नाम बदल कर लोगों की भावनाओं से तो खिलवाड़ नहीं किया. यदि इस के सबूत मिले तो उस के खिलाफ काररवाई की जाएगी, क्योंकि उस ने भक्तों से असल पहचान छिपाई थी.

कथा लिखने तक क्राइम ब्रांच आशु महाराज से पूछताछ कर रही थी.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित, मीनाक्षी और निकिता परिवर्तित नाम है.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...