गुड़गांव के अनाथालय में किआरा का एक और दोस्त था गुलफाम. गुलफाम उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर का रहने वाला था. वह 4 साल का था तभी उस के अब्बू की मौत हो गई थी. अब्बू की मौत के बाद मां हमीदा बेसहारा हो गई.
हमीदा ने फिर दूसरा निकाह कर लिया. दूसरे पति से उसे 4 बच्चे हुए. हमीदा दूसरे पति के साथ दिल्ली के आयानगर में रहने लगी. फिर सन 2004 में हमीदा की मौत हो जाने के बाद सौतेले पिता ने गुलफाम को गुड़गांव के अनाथालय में भरती करा दिया.
गुलफाम और रफीक अनाथालय में अच्छे दोस्त थे. करीब एक साल पहले गुलफाम किसी तरह अनाथालय से भाग गया. किआरा ने किसी तरह गुलफाम से संपर्क साध लिया.
10 मार्च, 2014 को उन दोनों ने गुड़गांव के एमजी रोड मेट्रो स्टेशन पर मुलाकात की. वहीं पर किआरा का एक दोस्त पवन आ गया. पवन द्वारका सेक्टर-3 में रहता था. फिर तीनों रफीक के कमरे पर पहुंच गए. कमरे पर 2 दिन रुक कर पवन तो चला गया. लेकिन गुलफाम वहीं रुका रहा. रफीक ने किआरा से जब पूछा कि ये गुलफाम यहां कब तक रहेगा तो किआरा ने कहा कि जब तक मैं यहां रहूंगी, ये भी रहेगा.
जब किआरा को रफीक अपनी बहन मान चुका था तो उसे अपने कमरे से जाने को भी नहीं कह सकता था, इसलिए न चाहते हुए भी किआरा को कमरे पर रखने के लिए उसे मजबूर होना पड़ा.
उधर आगरा में रहने वाले रोहित को जब पता चला कि किआरा गुड़गांव में रह रही है तो वह उस के पास आ गया और उसे अपने साथ आगरा ले जाने की जिद करने लगा. लेकिन किआरा ने उस के साथ जाने से मना ही नहीं किया बल्कि लड़ कर उसे कमरे से भगा भी दिया.