कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

10जनवरी, 2023. मंगलवार का दिन था. उस दिन हरियाणा के फतेहाबाद की फास्टट्रैक कोर्ट परिसर में पांव रखने की जगह नहीं थी. अतिरिक्त जिला जज बलवंत सिंह का कोर्टरूम लोगों की भीड़ से खचाखच भरा हुआ था. इन में पुलिस, वकील और स्थानीय लोग शामिल थे.

कोर्ट के कटघरे में जो मुजरिम खड़ा था, वह टोहाना का चर्चित तंत्रमंत्र ज्ञाता तांत्रिक एवं महंत अमर पुरी उर्फ बिल्लू था.

हट्टाकट्टा शरीर, गोरा रंग. चेहरे पर दाढ़ीमूंछ और ललाट पर लंबा तिलक. उम्र यही कोई 63 के आसपास. देखने में वह सादगी और सुलझे व्यक्तित्व का लग रहा था. जबकि हकीकत यह थी कि वह महाधूर्त, अय्याश, लंपट और कामुक प्रवृत्ति का था.

अमर पुरी पर आरोप था कि उस ने 120 महिलाओं का यौन शोषण किया था तथा उन की न्यूड वीडियो बना कर उन्हें ब्लैकमेल किया था. उस पर यह आरोप सिद्ध हो गए थे. 5 जनवरी, 2023 को उस पर आरोप तय कर देने के बाद 10 जनवरी को उसे सजा सुनाई जानी थी.

ठीक समय पर अतिरिक्त जिला जज बलवंत सिंह अपने चैंबर से निकल कर अपनी सीट पर आए तो उन के सम्मान में सभी अपनी जगह पर उठ कर खड़े हो गए. जज ने उन्हें बैठ जाने का इशारा किया और अपना स्थान ग्रहण कर लिया.

एक उचटती सी नजर कटघरे में सिर झुका कर खड़े अमर पुरी पर डालने के बाद उन्होंने अपने सामने रखी फाइल पर नजरें जमा दीं और बहुत गंभीर स्वर में कहना शुरू किया, ‘‘आज न्याय के कटघरे में जो व्यक्ति खड़ा है, उस का नाम अमर पुरी है. साधुसंतों का चोला पहन कर धर्म की आड़ में घिनौना खेल खेलने वाला व्यक्ति, जिस ने 120 महिलाओं की धार्मिक आस्था को ठेस पहुंचाई. उन के विश्वास को छला, उन को नशीला पेय पिला कर उन के न्यूड वीडियो बनाए, उन का यौन शोषण किया और उन्हें ब्लैकमेल कर के रुपए ऐंठे. ऐसा व्यक्ति किसी भी तरह दया का पात्र नहीं हो सकता.

‘‘यह अदालत अमर पुरी को आईटी एक्ट, एनडीपीएस एक्ट और आर्म्स एक्ट में दोषी करार दे कर 5 साल तथा रेप केस में 14 साल की सजा सुनाती है, यह सजा एक साथ चलेगी. इस पर 35 हजार का जुरमाना भी लगाया जाता है.’’

कटघरे में खड़ा ढोंगी संत अमर पुरी सजा सुनते ही रोने और गिड़गिड़ाने लगा, रहम की भीख मांगने लगा. लेकिन अतिरिक्त जिला जज बलवंत सिंह सजा सुनाने के बाद उठ कर खड़े हो गए. अदालत की काररवाई समाप्त कर के वह अपने चैंबर में चले गए तो कटघरे में खडे़ अमर पुरी को पुलिस वालों ने कस्टडी में ले लिया. वह अभी भी फूटफूट कर रो रहा था. अमर पुरी के कुकर्मों के बारे में जानने से पहले हम इस ढोंगी के बारे में बताते हैं.

पंजाब के मनसा जिले से आ कर टोहाना (हरियाणा) में बसने वाले अमर पुरी के मांबाप बहुत ही गरीब थे. अमर पुरी का जन्म टोहाना में ही 16 मई, 1958 को हुआ. उस की पढ़ाई में कोई रुचि नहीं थी. उस ने टोहाना के राजकीय उच्च विद्यालय से जैसेतैसे 4 क्लास पास किया, 5वीं में फेल होने के बाद वह फिर कभी विद्यालय में नहीं गया.

वह आवारा किस्म के लड़कों के साथ संगत करने लगा. वहीं से उसे शराब, बीड़ी पीने का शौक लग गया. उसे सही राह पर लाने के लिए मांबाप ने उस की शादी कर दी. तब पत्नी के आकर्षण ने उसे ऐसा बांधा कि वह गलत यारदोस्तों की संगत छोड़ कर पत्नी के दामन से चिपक गया.

परिवार तो बढ़ा लेकिन आमदनी नहीं

रातदिन पत्नी के आगेपीछे मंडराने का परिणाम यह निकला कि वह एक लड़की का बाप बन गया. मांबाप का अपना ही खर्च पूरा नहीं हो पाता था. परिवार बढ़ने लगा तो उन्होंने अमर पुरी को कामधंधा करने के लिए कहा. उधर अमर पुरी की पत्नी ने भी उस पर मेहनतमजदूरी करने का दबाव बनाया तो अमर पुरी ने एक फैक्ट्री में नौकरी तलाश कर ली.

कालांतर में अमर पुरी 4 बेटियों और 2 बेटों का बाप बन गया. अब नौकरी की आय से गुजरबसर नहीं हो सकती थी. मांबाप का साया भी सिर से उठ गया था, जिस से वह हताशनिराश हो गया.

उस की समझ में नहीं आ रहा था कि वह बढ़ते परिवार का बोझ कैसे उठाए. एकदो बार उस के मन में यह खयाल भी आया कि वह किसी नदीतालाब में कूद कर अपनी जिंदगी समाप्त कर ले, ऐसा कर लेने से वह सब झंझटों से मुक्ति पा सकता है, किंतु उस के पीछे उस की बीवीबच्चों का क्या होगा, वह दरदर की ठोकरें खाते घूमेंगे, भीख मांगने पर मजबूर हो जाएंगे.

यही सब सोच कर उस ने आत्महत्या करने का विचार मन से निकाल दिया. वह फटेहाल जिंदगी से बाहर निकलना चाहता था. बहुत सोचविचार करने के बाद उस ने टोहाना के भीड़भाड़ वाले इलाके में जलेबी बेचने के लिए रेहड़ी लगा ली.

धीरेधीरे जलेबी बेचने का काम चल निकला. वह सुबह से रात के 10 बजे तक जलेबियां बनाता और बेचता. इस काम में इतनी कमाई होने लगी कि उस का परिवार का खर्च आराम से चलने लगा.

अमर पुरी को जलेबी बेचने का यह धंधा इतना भाया कि उस ने ताउम्र यही काम करने का विचार मन में बिठा लिया. उस ने एक बोर्ड बनवा कर लगवा लिया, जिस पर ‘अमर पुरी के पंजाबी तोहफे’ लिखवाया. लोगों को उस के हाथों से बनी जलेबियां इतनी पसंद आती थीं कि वह टोहाना में ‘जलेबी बाबा’ के नाम से मशहूर हो गया.

सब कुछ ठीकठाक चल रहा था कि अचानक पत्नी बीमार हो गई. इलाज करवाया लेकिन वह ठीक नहीं हुई और उस की मृत्यु हो गई. अमर पुरी को पत्नी का साथ छूट जाने का गहरा दुख पहुंचा लेकिन बच्चों का खयाल कर के वह इस दुख को सहन कर गया. वह अपना जलेबी का स्टाल चलाता रहा.

एक दिन उस के स्टाल पर एक सांवले रंग का मरियल सा व्यक्ति आया. उस के माथे पर काला तिलक लगा था, सफेद दाढ़ीमूंछ और सिर के खिचड़ी बालों ने उस व्यक्ति को

बहुत रहस्यमयी बना दिया था. वह सफेद धोतीकुरता पहने हुए था. वह व्यक्ति स्टाल पर आ कर अमर पुरी का चेहरा ध्यान से देखने लगा.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...