35साल का योगेश उर्फ पप्पू नामदेव अपनी 32 वर्षीय पत्नी सुनीता व 12 साल के बेटे दिव्यांश के साथ मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के बानापुरा के वार्ड नंबर 3 दुर्गा कालोनी में रहता था. योगेश पान की दुकान चलाता था, जबकि पत्नी सुनीता घर पर ही आटा चक्की और किराना दुकान चलाती थी.

4 नवंबर की सुबह को कालोनी के लोग अपनी जरूरत का सामान लेने किराना दुकान पर आ रहे थे, लेकिन अभी तक योगेश की दुकान का दरवाजा नहीं खुला था. पड़ोसी और कालोनी के लोग इस बात को ले कर आश्चर्य भी व्यक्त कर रहे थे कि आज योगेश की दुकान क्यों नहीं खुली. क्योंकि अकसर योगेश सुबह जल्दी उठ कर किराना दुकान खोल लेता था. आसपास रहने वाले लोग अपने घरों में दीवाली की तैयारियों में जुटे थे. योगेश के घर के सामने किसी तरह की हलचल न देख कर लोगों ने यह अनुमान लगाया कि आज अमावस्या है और योगेश शायद अपने परिवार के साथ नर्मदा नदी में स्नान करने आंवली घाट गया होगा.

कालोनी के लोगों को पता था कि योगेश के मातापिता आंवली घाट में पूजन सामग्री की दुकान चलाते हैं. अकसर ही पूर्णिमा और अमावस्या पर योगेश अपने परिवार के साथ वहां जाता रहता था. पिछले पखवाड़े ही वह अपने 8 साल के बेटे को भी वहां छोड़ आया था. दीवाली की शाम करीब 4 बजे थे. तभी योगेश के घर के सामने एक बाइक आ कर रुकी. उन्होंने दरवाजे पर दस्तक दी. दरअसल, योगेश के घर के सामने उस की दुकान की शटर लगा हुआ था. वहीं से हो कर उस के घर के अंदर जाने का रास्ता था.

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