Uttarakhand Crime : कर्ज लेनदेन के जाल में रुबीना ऐसी फंसी कि उस का जीना मुहाल हो गया था. किंतु उस से निकलने के लिए उस ने जो तरीका अपनाया, वह कानून के फंदे में फंसने वाला था. उस पर आसमान से गिरे और खजूर पर अटके वाली कहावत पूरी तरह से चरितार्थ हो गई. आखिर उस ने किया क्या था? पढ़ें, इस मर्डर स्टोरी में.
उत्तराखंड के हरिद्वार जिले में रुड़की के मच्छी मोहल्ले में रहने वाली करीब 40 साल की रुबीना छोटे से घर में अपने शौहर शमशेर और 3 बच्चों के साथ रहती थी. बेटियां स्कूल जाती थीं. पति पत्थर टाइल्स का काम करता था और वह खुद पिछले 6 सालों से जरूरतमंद महिलाओं को लोन दिलवाने के लिए बिचौलिए का काम करती थी.
लेकिन पिछले कई महीने से वह परेशान चल रही थी. उस के घर का गुजारा किसी तरह से बस चल पा रहा था.
''तुम कब से कह रही हो नई ड्रेस दिलवा दूंगी, क्यों नहीं दिलातीं?’’ एक दिन रुबीना की 10 साल की बेटी ठुनकती हुई बोली.
''दिलवा दूंगी...तुम्हें भी दिला दूंगी.’’ रुबीना ने समझाने की कोशिश की.
''नहींनहीं अम्मी, मुझे आज ही चाहिए. तुम दीवाली पर बोली थी, वह भी निकल गई...’’ कहतेकहते बेटी रोने को हो आई.
''अरे चुप हो जा मेरी बच्ची, थोड़े पैसे आ जाने दे.’’
''उतने सारे पैसे थे तो तुम्हारे पास, मैं ने देखा था रात को तुम गिन रही थी...’’
''अरे वो पैसे मेरे नहीं थे, वो तो ब्याज के थे.’’ रुबीना बोली.
''उसी में से दिला देतीं, और पैसे आने पर उस से ब्याज दे देतीं.’’ बेटी का मासूमियत भरा सुझाव था.