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नियाज अली से ज्यादा सीधासादा आदमी मैं ने अपनी जिंदगी में इस से पहले नहीं देखा था. उस की उम्र 50 से ऊपर रही होगी, मगर  स्वास्थ्य ऐसा था कि जवान भी देख कर लजा जाए. उसे इस गांव में आए 5-6 साल ही हुए थे. लेकिन अपने स्वभाव और सेवाभाव की वजह से गांव के सभी लोग उसे बहुत पसंद करते थे.

गुजारे के लिए उस ने अपने घर के एक कोने में किराने की छोटी सी दुकान खोल रखी थी. हफ्ते में एक दिन शहर जा कर वह दुकान के लिए सामान ले आता था, बाकी 6 दिन वह गांव में ही रहता था.

अपनी ईमानदारी और सेवाभाव की वजह से वह गांव में ही नहीं, आसपास के गांवों में भी लोकप्रिय हो गया था. इसी वजह से उस की दुकान भी बढि़या चल रही थी. उस का अपना कोई नहीं था. पूछने पर भी उस ने कभी किसी को अपने घर परिवार के बारे में कुछ नहीं बताया था. बाद में लोगों ने इस बारे में पूछना ही छोड़ दिया था.

एक दिन नियाज अली शहर गया तो पूरे एक हफ्ते बाद लौटा. गांव वालों ने पूछा तो उस ने बताया कि वह एक मेले में चला गया था. जिस दिन वह गांव लौटा था, उस के अगले दिन गांव में एक ट्रक, पुलिस एक जीप के साथ आ पहुंची.

इस से पहले गांव में इस तरह पुलिस कभी नहीं आई थी. अगर कोई जरूरत पड़ती थी तो थानेदार 2 सिपाहियों से नंबरदार को खबर भिजवा कर जिस आदमी की जरूरत होती थी, उसे थाने बुलवा लेता था.

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