2 दिनों तक दोनों आपस में खिंचे खिंचे रहे. तीसरे दिन चुनन शाह ने कहा, ‘‘भावल, मैं मानता हूं कि मैं ने गलती की है. लेकिन वादा करता हूं कि अब आगे कभी इस तरह का घटिया काम नहीं करूंगा.’’
चुनन शाह की इस बात से भावल खान खुश हो गया. सुगरा छिपछिप कर दोनों की बातें सुनती रहती थी. उस ने भावल से कई बार कहा था कि चुनन शाह से पीछा छुड़ा ले. वह कहती थी कि चुनन शाह अच्छा आदमी नही है. तब वह जवाब में कहता, ‘‘सुगरा, मैं भी अच्छा आदमी नहीं हूं.’’
एक दिन अचानक चुनन शाह ने भावल खान से कहा, ‘‘भावल, इस बार तुम्हारी पसंद का काम मिला है. लेकिन काम थोड़ा जटिल है.’’
भावल खान को ऐसे ही काम करने में मजा आता था. वह तैयार हो गया. चुनन शाह ने अपने किसी पुराने साथी के साथ डकैती की योजना बनाई थी. बहुत बड़ी रकम हाथ लगने वाली थी. लेकिन काम सचमुच जटिल था.
उन्हें करेंसी से भरी वैन को लूटना था. उस वैन का ड्राइवर उन की पहचान का था, जो उन की मदद कर रहा था. योजना के अनुसार, वैन से नोटों के बैग उतार कर एक कार से फरार होना था. चुनन शाह ने कार की भी व्यवस्था कर ली थी. भावल खान सुगरा से 2 दिन बाद लौटने की बात कह कर चुनन शाह के साथ चला गया.
अगले दिन सुबह योजना को अंजाम देना था. लेकिन रात को जिस होटल में वे ठहरे थे, वहां पुलिस ने छापा मार कर उन्हें पकड़ लिया. थाने पहुंचने पर पता चला कि उन का तीसरा साथी, जो पहले से ही किसी मामले में वांछित था, उसे दोपहर में ही आते समय पुलिस ने रास्ते से पकड़ लिया था. उसी ने अगले दिन वैन लूटने के बारे में बता कर बाकी लोगों को गिरफ्तार करवा दिया था.