जरीना के शौहर ने बताया था कि घटना वाली रात को मृतक खेतों की ओर जा रहा था, तभी नाजरा के दोनों भाई कुल्हाडि़यां ले कर उस के पीछे पीछे गए थे. दोनों बगीचे के पास से गुजरे. जरीना के शौहर ने उन्हें पहचान लिया था. उस समय वह वहीं बाग के पास खड़ा था. उस ने तो उन्हें देख लिया था, लेकिन वे उसे नहीं देख पाए थे. उसे मालूम नहीं था कि मृतक उधर क्यों गया था. सुबह मृतक की लाश मिली तो जरीना के शौहर को लगा कि यह कत्ल नाजरा के भाइयों ने ही किया है, लेकिन डर के मारे वह जबान खोलने की हिम्मत नहीं कर पाया था.
लेकिन मैं ने पुलिसिया ताकत के बल पर दोनों की जबान खुलवा ली थी. नाजरा के दोनों भाइयों को बुला कर अलगअलग बिठा दिया. इस के बाद नाजरा को थाने बुलाया. उस सुंदर लड़की ने मुझे हैरान कर दिया. मैं ने उस से कहा कि एक सुंदर और जवान लड़का उस की वजह से मारा गया. क्या वह बता सकती है कि हत्या किस ने की है?
‘‘मेरे इन्हीं दोनों भाइयों ने,’’ नाजरा ने कहा, ‘‘जिन्हें आप ने थाने में बैठा रखा है.’’
‘‘मुझे भी यही संदेह था.’’ मैं ने कहा.
‘‘इस में संदेह की कोई बात नहीं है. हत्या इन्होंने ही की है. दोनों को फांसी दिला दो.’’ उस ने कहा और रो पड़ी.
नाजरा के बताए अनुसार, वह और मृतक आपस में मोहब्बत करते थे. लेकिन नाजरा की मंगनी किसी और के साथ उस समय हो गई थी, जब वह 11 साल की थी. जवान होने पर उसे मृतक अच्छा लगने लगा और मंगेतर बुरा. जरीना के माध्यम से मृतक और नाजरा की मुलाकातें होने लगी थीं. उस ने मृतक से अपनी मोहब्बत को पाक बताया था, लेकिन मेरी इस में कोई दिलचस्पी नहीं थी कि उन की मोहब्बत पाक थी या नापाक.