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जगजीत उर्फ जीते की कहानी मैं ने गौर से सुनी. उस से कुछ सवाल पूछने के बाद मैं इस नतीजे पर पहुंचा कि उस की बातों में जरा भी झूठ की मिलावट नहीं है. कुसूर यकीनन उस लड़की का था. अब सवाल यह था कि खातेपीते रईस घर की लड़की ने आखिर हौकर से ही नजरें क्यों लड़ाईं?

मैं ने सोचा कि जब किसी लड़की का दिल किसी पर आता है तो वह ऊंचनीच नहीं देखती. हो सकता है बग्गा की बेटी के साथ भी यही रहा हो. जीते ने उस के प्रति जो बेरुखी दिखाई थी, वह उस से बेचैन हो गई होगी. संभव है उस ने अपने भाई की मोटरसाइकिल अपने किसी चाहने वाले से चोरी करवा दी हो. अगर ऐसा नहीं भी हुआ होगा तो उस ने मौके का फायदा उठाया होगा और मोटरसाइकिल चोरी होने पर जानबूझ कर शक की सुई जीते की ओर मोड़ दी होगी.

घटनास्थल देखने के बहाने मैं उसी दिन बग्गा की कोठी पर पहुंचा. मैं ने नौकरों और घर वालों से पूछताछ की. पम्मी भी वहीं मौजूद थी. वह खूबसूरत थी. साथ ही चालाक भी नजर आ रही थी. उस ने भी अपने बयान में वही बताया, जो उस के पिता और भाई ने बताया था.

अभी मैं कोठी में पूछताछ कर ही रहा था कि मोटरसाइकिल की पहेली हल हो गई. थाने से हवलदार बिलाल शाह चोरी की उसी मोटरसाइकिल पर सवार हो कर वहां आ गया. उस ने बताया कि मोटरसाइकिल नहर के पास से बरामद हुई है. चोर भी पकड़ा गया था. जीते ने ठीक ही कहा था. उसे सबक सिखाने के लिए पम्मी ने ही यह चोरी करवाई थी. कहने को तो यह केस यहीं खत्म हो गया था, पर हकीकत में खत्म नहीं हुआ था, बल्कि इस के बहाने एक नया मामला सामने आ गया था.

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