25 अक्तूबर, 1947 को एक प्राइवेट जेट ने आधी रात को भारत से पाकिस्तान के लिए उड़ान भरी थी. इस विमान के पिछले हिस्से में हीरे जवाहरात से भरे बड़ेबड़े बक्से रखे थे. इन बक्सों के आगे कोई 1-2 नहीं, सैकड़ों पालतू कुत्ते बैठे थे. विमान में बीच की सीटों पर जूनागढ़ रंगमंच के कुछ कलाकार थे तो उस के आगे की सीटों पर भारत की एक रियासत जूनागढ़ के नवाब अपनी 7 बेगमों के साथ बैठे थे.
कुछ घंटों की उड़ान के बाद वह विमान कराची के हवाई अड्डे पर उतरा तो वहां के कर्मचारी विमान में ठसाठस भरे कुत्तों को देख कर दंग रह गए थे. लेकिन इस से भी ज्यादा हैरानी की बात तो यह थी कि नवाब अपने पसंदीदा कुत्तों को साथ ले जाने के चक्कर में अपनी 2 बेगमों को भारत में ही छोड़ गए थे. यह नवाब थे, मोहम्मद महाबत खान रसूल खान बाबई, जिन्हें जूनागढ़ के आखिरी नवाब के रूप में भी जाना जाता है.
नवाब महाबत खान ने कुल 19 शादियां की थीं. वह अपनी सभी बेगमों से बहुत प्यार करते थे. वह एक को तलाक देते थे तो दूसरी से निकाह कर लेते थे. मुसलिम धर्म में साली से निकाह करना धर्म के खिलाफ माना जाता है, फिर भी नवाब महाबत खान ने अपनी साली से निकाह किया था.
बाद में साले की बेटी से भी निकाह किया. वैसे मुख्यरूप से उन की 4 बेगमें थीं. इस के अलावा 9 बेगमें और थीं. मुख्य बेगम भोपाल बेगम थीं, जो भोपाल की ही थीं. भोपाल बेगम के बेटे दिलावर खान का वर्चस्व अधिक था.