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फिलिप रौजर की जेब में मौजूद पीले रंग का वह पुराना कागज एक तरह से उस के बाप की वसीयत थी, जिस में उस ने आशीर्वाद के बाद लिखा था कि वह उस के और उस की बहन के लिए भारी कर्ज छोड़े जा रहा है. खानदानी जायदाद और घर रेहन रखने के बाद भाईबहन को वह तकदीर के भरोसे छोड़ कर मौत को गले लगा रहा है. इस के अलावा अब उस के पास कोई दूसरा रास्ता भी नहीं बचा है.

उस वसीयत के साथ फिलिप को 14 साल की एक लड़की और 24 साल के एक नौजवान की याद आ गई, जो बाप के आत्महत्या कर लेने के बाद बेसहारा हो गए थे. उस दिन पूरे 24 साल बाद फिलिप ने डौल्टन का दरवाजा खटखटाने के लिए दरवाजे पर हाथ रखा तो मन में दहक रही बदले की आग के साथ गर्व का अहसास हुआ, क्योंकि अब उस के पास वह ताकत थी, जिस से वह अपना अतीत खरीद सकता था.

डौल्टन ने दरवाजा खोला. उस के सिर के बाल सफेद हो गए थे, चेहरे पर परेशानी और गरीबी साफ झलक रही थी. फिलिप ने तो उसे पहचान लिया, लेकिन वह उसे नहीं पहचान सका, क्योंकि फिलिप अब 24 साल का दुबलापतला नौजवान नहीं, 48 साल का कीमती सूट में लिपटा शानदार व्यक्तित्व का मालिक था.

फिलिप ने हाथ मिलाते हुए गंभीर लहजे में कहा, ‘‘मि. डौल्टन, मैं फिलिप रौजर. क्या अंदर आ सकता हूं?’’

डौल्टन घबरा सा गया. हकला कर बोला, ‘‘ओह मि. रौजर, मुझे यकीन ही नहीं हो रहा है कि यह आप हैं. आइए, यह आप का ही तो घर है.’’

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