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जैतून बंगले से निकल कर अस्पताल के उस कमरे में जा पहुंची, जहां शाहिद गहरी नींद सो रहा था. नींद की गोली की गिरफ्त में जकड़ा वह दुनिया से बेखबर था. जैतून कुछ देर तक उसे खालीखाली नजरों से देखती रही. फिर जब वह अपने क्वार्टर में आई तो उस ने अपनी बच्चियों को गहरी नींद में डूबी पाया.

वे नरम नाजुक कलियां सी लग रही थीं. उसे ऐसा लग रहा था कि वे कलियां जमाने की सर्दीगर्मी नहीं सह सकेंगी और कुम्हला जाएंगी. वक्त के बेरहम हाथ उन से सब कुछ छीन लेंगे. शाहिद तो उन्हें पेट भर दो वक्त की रोटी भी नहीं खिला सकेगा.

जैतून जब सोने के लिए बिस्तर पर लेटी तो उस की आंखों के सामने नवेद का चेहरा उभर आया. उस ने महसूस किया कि उस के दिल के किसी कोने में नवेद की मोहब्बत जाग रही है. नवेद की बदौलत ही उस के शौहर को नई जिंदगी मिली थी. वह उस से आज मोहब्बत की भीख मांग रहा था. जैतून ने नवेद से पहली मोहब्बत की थी और फिर उस ने शाहिद को पाने के बाद अपने दिल का दरवाजा हमेशाहमेशा के लिए बंद कर कर लिया था.

इस के बाद उस के दिल में बसी नवेद की तसवीर धुंधली होती चली गई थी. मगर आज फिर से वह दरवाजा खुल गया था. सोई हुई मोहब्बत धीरेधीरे जाग रही थी और नवेद उस के वजूद में रचबस गया था. वह आज अपने आप को दोराहे पर खड़ी महसूस कर रही थी. उस के दिमाग में बहुत से उलझेउलझे और अजीबोगरीब खयाल पैदा हो रहे थे. दिल जैसे डूबता जा रहा था.

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