कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

सुबहसुबह ही एक तीखे नैननक्श की खूबसूरत लड़की अपनी मौसी के साथ मेरे औफिस में आई. बैठने के साथ ही लड़की ने कहा, ‘‘वकील साहब, क्या कोई आदमी भी  मनहूस हो सकता है?’’

‘‘हां, क्यों नहीं हो सकता है.’’ जवाब में मैं ने कहा.

‘‘क्या उस की वजह से आसपास के लोग परेशानी में पड़ जाते हैं?’’

‘‘बीबी, तुम्हारा सवाल बड़ा पेचीदा है. एक बात बताओ, क्या अच्छाई आसपास रहने वालों के लिए खुशनसीबी ला सकती है?’’ मैं ने पूछा.

‘‘क्यों नहीं, अच्छाई तो सब के लिए अच्छी होती है.’’ लड़की ने जवाब दिया.

मैं ने उस के जवाब की सराहना की तो उस ने आगे कहा, ‘‘वकील साहब, मेरे शौहर ने अपनी मां के कहने पर मुझे घर से निकाल दिया है और अब तलाक देना चाहते हैं. मेरी सास का कहना है कि मैं मनहूस हूं. उन्होंने मेरे सारे गहने और नकद रकम भी रख ली है.’’

‘‘बीबी, पहले आप अपने बारे में तो बताइए.’’ मैं ने कहा.

‘‘मेरा नाम ताहिरा है,’’ फिर बगल में बैठी औरत की ओर इशारा कर के कहा, ‘‘और यह मेरी मौसी फिरदौसी हैं. यही मेरी सब कुछ हैं. अगर यह न होतीं तो शायद मैं किसी कब्रिस्तान में होती.’’

‘‘क्या तुम्हारे मातापिता और भाईबहन नहीं हैं?’’ मैं ने पूछा.

‘‘ऐसी बात नहीं है. मैं 4 भाइयों और पांच बहनों की एकलौती बहन हूं.’’ उस ने कहा.

‘‘यह कैसी पहेली है?’’ मैं ने हैरानी से पूछा.

‘‘यह मेरे लिए भी एक पहेली ही है वकील साहब. बात यह है कि मेरे अब्बा ने भी 2 शादियां कीं और अम्मी ने भी 2 शादियां कीं. दरअसल मेरे अब्बा एक हादसे की वजह से अपनी पहली बीवी से बिछुड़ गए थे. मिलने की उम्मीद नहीं दिखाई दी तो रिश्तेदारों के कहने पर उन्होंने दूसरी शादी कर ली.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 12 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...