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मेरी हमदर्दी का नतीजा यह निकला कि उस ने सच्चाई बयां कर दी, ‘‘सच पूछो तो मेरी मां, मेरी दूसरी शादी करना चाहती है. संयोग से ग्रीनकार्डधारी लड़की मुझे मिल भी गई है. वह खूबसूरत तो है ही, 12 सौ डौलर तनख्वाह पाती है. वहां मेरी फोटोग्राफी का धंधा भी खूब चलेगा.’’

‘‘बहुत नसीब वाले हो भाई. उस खूबसूरत लड़की का नाम क्या है?’’ मैं ने पूछा.

वह खुश होते हुए बोला, ‘‘उस का नाम यासमीन है. वह एक कारोबारी परिवार की बेटी है. उस के बाप का बाजार में बहुत बड़ा होटल है.’’

‘‘भई तुम्हें यह शानदार चांस कैसे मिल गया?’’

‘‘दरअसल, उस लड़की का तलाक हो चुका है. दूसरे उम्र की कुछ ज्यादा है, लेकिन ऐसे में यह सब कौन देखता है?’’

मैं ने खुशी जाहिर करते हुए कहा, ‘‘कब तक जाने का प्लान है?’’

‘‘डेढ़-2 महीने तो लग ही जाएंगे. बस लड़की की ओर से जवाब का इंतजार है.’’

मैं ने कहा, ‘‘मेरे नोटिस के बारे में तुम्हारा क्या इरादा है?’’

‘‘नोटिस के बारे में क्या सोचना, उस से घर थोड़े ही आबाद होते हैं.’’

‘‘अगर तुम दूसरी शादी करना चाहते हो तो ताहिरा के वाजिब हक दे कर उसे आजाद कर दो. सिर्फ 32 हजार मेहर के, 1 लाख दहेज वाले, 10 हजार मेंटीनेंस और गहने तो देने ही हैं,’’ मैं ने समझाया.

‘‘वकील साहब, यही तो मुश्किल है. इसी वजह से मैं उस मनहूस से जान नहीं छुड़ा सका. मेरे पास इतने पैसे नहीं हैं, फिर भी कोशिश कर के जल्दी ही उस के पैसे दे दूंगा.’’

‘‘ऐसा करो, 25 हजार इस हफ्ते दे दो, बाकी पैसे एक महीने बाद दे देना.’’

‘‘जी…’’ उस ने घबरा कर चालाकी से कहा, ‘‘आप अपनी मुवक्किल से कहें कि कुछ इंतजार कर ले. मैं दुकान बेच कर… अरे कुछ भी बेच कर उस का पैसा अदा कर दूंगा.’’

मैं समझ गया कि यह ताहिरा को तलाक दे कर उस के ड्यूज नहीं देना चाहता. यह देश छोड़ कर भाग जाने के लिए मोहलत मांग रहा है. मैं ने कहा, ‘‘ठीक है, मैं तुम्हारी बीवी को 2 महीने टालने की कोशिश करूंगा, पर तुम इस नोटिस का जवाब तो लिख दो.’’

‘‘जवाब किस बात का? मैं आप को सौ रुपए दे रहा हूं. आप इस मामले को संभाल लीजिए.’’

मैं ने एक आंख दबा कर कहा, ‘‘मुझे अपने मुवक्किल को भी तो संतुष्ट करना होगा.’’

हिचकिचाते हुए उस ने कहा, ‘‘बताइए, क्या लिखूं?’’

‘‘हमें फर्ज अदायगी करनी है, इसलिए जो सच्चाई है, वही लिख दो. यह कोई फौजदारी केस तो है नहीं, मियांबीवी राजी तो क्या करेगा काजी?’’

उस ने कुछ अपने दिमाग से, कुछ मेरी सलाह ले कर जवाब लिखा, ‘‘ताहिरा मेरी बीवी जरूर है, मगर घर में रखने लायक नहीं है. शादी के पहले उस के घर वालों ने बताया था कि वह कुंवारी है. जबकि वह अपने पहले शौहर को खा चुकी है. उस की वजह से मेरा भी काफी नुकसान हुआ है. वह मनहूस है. यह मियांबीवी का मामला है, मैं बहुत जल्दी उस के हक अदा कर दूंगा. मैं इस तरह की नोटिसों से बिलकुल नहीं डरता.’’

उसे साथ ले कर मैं ओथ कमिश्नर के पास गया और उस के इस लिखित बयान की वेरीफिकेशन करवा दी. वह इस बात से थोड़ा परेशान हुआ, पर मैं ने कहा कि यह कार्यवाही का एक हिस्सा है, इस से कोई फर्क नहीं पड़ेंगा.

तीसरे दिन ताहिरा आई तो मैं ने उसे अजीम बुखारी के आने की बात बता कर जब उस से पहली शादी के बारे में पूछा तो उस ने कुछ और ही कहानी सुनाई. ताहिरा के बताए अनुसार, शादी से पहले ही उस के शौहर की कार दुर्घटना में मौत हो गई थी. उस ने तो उस का मुंह भी नहीं देखा था.

इस के बाद उस के अब्बा ने यह शादी की थी. उस की यह शादी भी मात्र 11 दिनों ही चल सकी. उस के ससुराल आते ही कुछ घटनाएं घट गईं तो उसे मनहूस करार दे कर घर से निकाल दिया गया. इसलिए वह चाहती थी कि अजीम बुखारी उसे स्वीकार कर ले. अगर उस ने उसे स्वीकार नहीं किया तो लोग उसे सचमुच मनहूस मान लेंगे.

मैं ने ताहिरा पर एक नजर डाल कर कहा, ‘‘बीबी, तुम उस आदमी को पूरी तरह खयाल से निकाल दो. अब वह किसी भी सूरत में तुम्हें अपने घर रखने वाला नहीं है.’’

‘‘बेग साहब, अगर ऐसा हुआ तो लोग मेरा जीना हराम कर देंगे. आप किसी तरह समझौता करा दें. मैं उस का हर जुर्म सह लूंगी.’’

‘‘बीबी, तुम किस दुनिया में हो? अजीम बुखारी ने एक ग्रीनकार्डधारी तलाकशुदा औरत ढूंढ ली है. वह उस के साथ शादी कर के अमेरिका जाने की फिराक में है.’’

मेरी बात सुन कर ताहिरा गुस्से में बोली, ‘‘यह आप को किस ने बताया?’’

‘‘उसी ने बताया है.’’

‘‘लेकिन वकील साहब, मेरी इजाजत के बगैर वह दूसरी शादी कैसे कर सकता है?’’

‘‘हां, कानून तो यही है. शायद उस ने लड़की वालों को अपनी पहली शादी के बारे में नहीं बताया है. वह चुपचाप शादी कर के अमेरिका चला जाना चाहता है. पर मैं ऐसा नहीं होने दूंगा. तुम अपना निकाहनामा और गहनों की रसीद मुझे दे दो. अगर 1 लाख रुपए का भी कोई सुबूत है तो वह भी दे जाओ.’’

‘‘1 लाख का तो कोई सुबूत नहीं है. शादी के तीसरे दिन वह रकम ले कर अजीम ने अपने एकाउंट में जमा कर दी थी.’’

‘‘तुम्हें वह एकाउंट नंबर मालूम है?’’

‘‘एकाउंट नंबर तो नहीं मालूम, पर बैंक की एक स्लिप मेरे पास है, जिसे अजीम ने दी थी.’’

ताहिरा ने एक मुड़ीमुड़ी बैंक स्लिप पर्स से निकाल कर दी तो मैं ने उसे फाइल में रख कर कहा, ‘‘ताहिरा बीवी, तुम किसी भी तरह अपने शौहर की सरगर्मियों पर नजर रखो.’’

‘‘ठीक है, मौसी से कह दूंगी, वह कोई न कोई इंतजाम कर लेंगी.’’

मैं ने उसे रुखसत करते हुए कहा, ‘‘इस से हमें उस की शादी के बारे में फौरन मालूम हो जाएगा.’’

2 दिनों बाद मैं ने अजीम बुखारी की मंगेतर के बाप के होटल में फोन किया. फोन लड़की के बाप मकबूल हुसैन ने ही उठाया. मैं ने बड़े अदब से कहा, ‘‘मकबूल साहब, मैं आजमी ज्वैलर्स से इब्राहीम बोल रहा हूं. मेरे पास एक साहब अजीम बुखारी आए हैं. उन्होंने हमारी दुकान से कुछ गहने खरीदे हैं. कैश कुछ कम पड़ गया है तो वह चैक दे रहे हैं. मैं ने चैक लेने से मना किया तो वह आप का रेफरेंस दे कर कह रहे हैं कि वह आप के होने वाले दामाद हैं. मैं आप को जानता हूं, इसलिए पूछ रहा हूं कि चैक लेने में कोई खतरा तो नहीं है?’’

‘‘खतरा तो कोई नहीं है, लेकिन उसे इतनी जल्दी क्यों पड़ी है? अभी तो शादी की तारीख भी तय नहीं हुई है.’’ उस ने नागवारी से कहा.

‘‘अरे मकबूल भाई, तारीख तय होने में कहां देर लगती है? गहने तो खरीदने ही पड़ेंगे. आप भी आइए.’’ मैं ने कहा.

‘‘इब्राहीम भाई, यह सारा काम मैं ने अपनी बेटी पर छोड़ रखा है. सब उसी की पसंद से होगा. 2 हफ्ते बाद वह अमेरिका से आएगी और शादी के फौरन बाद लौट जाएगी.’’ मकबूल हुसैन ने कहा.

मैं ने शुक्रिया कह कर फोन रख दिया. इस बातचीत से साफ हो गया कि अजीम बुखारी सच कह रहा था. लड़की सिर्फ शादी के लिए आ रही थी. मैं ने मेंटीनेंस और मेहर का केस तैयार कर लिया, मगर दाखिल नहीं किया.

आगे की कहानी जानने के लिए पढ़ें Hindi Emotional Story का तीसरा भाग…

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