उसी समय कमरे का दरवाजा खुला और ताहिरा अंदर आई. उस की नजर अजीम पर पड़ी तो वह वहीं ठिठक गई. कमरे में पल भर के लिए सन्नाटा पसर गया. अजीम ने खड़े हो कर कहा, ‘‘यासमीन, मैं नीचे तुम्हारा इंतजार कर रहा हूं.’’
उस के जाने के बाद ताहिरा ने कहा, ‘‘मैं वेटिंग रूम में बैठती हूं. आप फ्री हो जाइए तो बात करती हूं.’’
‘‘मैं फ्री हूं. बताओ क्या बात है?’’ मैं ने फौरन कहा.
ताहिरा यासमीन की बगल वाली कुरसी पर बैठ गई. वह अपना चेहरा दोनों हाथों से ढांप कर रोने लगी तो मैं ने कहा, ‘‘अरे यह क्या बात है? इतने प्यारे चेहरे पर ये आंसू अच्छे नहीं लगते.’’
‘‘वकील साहब, यह कौन है?’’ यासमीन ने हमदर्दी से पूछा.
‘‘ताहिरा, अजीम बुखारी की पहली बीवी.’’
यासमीन हैरानी से उसे देखती रह गई. फिर एकदम से उठी और बिना कुछ कहे बाहर निकल गई. उस के जाने के बाद ताहिरा भी उठी और आंसू पोछते हुए बोली, ‘‘वकील साहब, फिर आऊंगी. अभी मेरी तबीयत ठीक नहीं है.’’
‘‘फिक्र करने की कोई बात नहीं है, सब ठीक ही होगा.’’ मैं ने उसे तसल्ली दी.
अगली पेशी पर अजीम बुखारी अदालत में आया तो काफी परेशान लग रहा था. मैं ने जिरह शुरू की, ‘‘बुखारी साहब, पर्सनल ला के हिसाब से कोई भी आदमी पहली बीवी की मौजूदगी में उस की इजाजत के बगैर दूसरी शादी नहीं कर सकता यानी दूसरी शादी के लिए पहली बीवी की रजामंदी जरूरी है. क्या आप ने दूसरी शादी अपनी पहली बीवी की रजामंदी से की है?’’
‘‘मुझे इस बारे में पता नहीं था.’’