एडवोकेट इफ्तिखार अहमद बैड पर लेटे इंतजार कर रहे थे कि दुआ कब आ कर उन्हें उठाए. उन की सुबह दुआ के उठाने और रात बालों में अंगुलियां फेरने से होती थी. वह सोच ही रहे थे कि दुआ आ कर उन के सिरहाने बैठ गई. सोने का नाटक कर रहे इफ्तिखार अहमद ने उसे दबोच लिया.
दुआ ने हंसते हुए कहा, ‘‘नाश्ता तैयार है, आप जल्दी से फ्रैश हो कर आ जाइए.’’
इफ्तिखार अहमद नीचे आए तो बेटे उन से मिल कर स्कूल चले गए. वह दुआ के साथ बैठ कर उस से बातें करते हुए नाश्ता करने लगे. दुआ की वैन का हौर्न सुनाई दिया तो मदीहा उस का लंचबौक्स, बोतल और बैग ले कर वैन तक छोड़ने चली गई.
इफ्तिखार अहमद ने टीवी चालू किया तो अली भाई वाले मुकदमे से संबंधित खबरें आ रही थीं. मीडिया अली भाई को मानवता का दुश्मन बताते हुए समाज विरोधी घोषित कर रहा था. कहा जा रहा था कि यह लापरवाही से नहीं, बल्कि ऐसा जानबूझ कर किया गया था. इसलिए ऐसे आदमी को कतई जमानत नहीं मिलनी चाहिए. इसी के साथ इफ्तिखार अहमद की तारीफ करते हुए कहा जा रहा था कि वह किसी भी हालत में उस की जमानत नहीं होने देंगे.
इफ्तिखार अहमद ने खुदा का शुक्र अदा किया कि एक बार फिर मीडिया इस मामले में पूरी दिलचस्पी ले रहा है. दुआ को छोड़ कर आई मदीहा ने टीवी पर आ रही खबरों को देख कर मुकदमे की काररवाही के बारे में पूछा.
इफ्तिखार अहमद ने जो बताया, उसे सुन कर उस ने कहा, ‘‘अल्लाह करे, अली भाई की जमानत न हो. ऐसे लोगों को तो सरेआम फांसी पर चढ़ा देना चाहिए. और हां, आप कब तक वापस आ जाएंगे. दुआ को डाक्टर के यहां ले जाना है.’’