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महाराजा तुकोजीराव होल्कर के खिलाफ इस तरह का सीधा कोई सबूत नहीं था कि इस घटना में वह किसी भी तरह शामिल हैं क्योंकि गिरफ्तार अभियुक्तों में से किसी ने भी उन का नाम नहीं लिया था. लेकिन आरोप प्रत्यारोप का दौर चलता रहा क्योंकि इस घटना के सारे आरोपी उन से संबंध रखते थे.

इस के बाद तो लोग तरह तरह की बातें करने लगे थे. यह भी कहा जाता है कि महाराजा होल्कर पर नजर रखने के लिए अंगरेजों ने एक जासूस भेजा था, जो बिजासन माता के मंदिर में साधु बन कर रह रहा था.

इस तरह की बातें फैलीं तो जांच में यह भी सामने आया था कि बावला की हत्या करने वाले लोग जिस कार से आए थे, उस का ड्राइवर ड्राइविंग का खिलाड़ी था. कुछ ही घंटों में उस ने कार इंदौर से मुंबई पहुंचा दी थी.

महाराजा होल्कर के खिलाफ नहीं मिले सबूत

महाराजा होल्कर भी कार ड्राइविंग के बहुत शौकीन थे. कहा जाता है कि होल्कर राजघराने की महारानी चंद्रावती होल्कर देश में कार चलाने वाली पहली महिला थीं. चंद्रावती होल्कर महाराजा तुकोजीराव होल्कर की तीसरी पत्नी थीं. महाराजा से जिद कर के उन्होंने कार चलानी सीखी थी.

इंदौर राजघराने के पास 60 महंगी कारों का काफिला था. महाराजा होल्कर खुद तेज कार ड्राइविंग के शौकीन थे. रतलाम से इंदौर तक की 160 किलोमीटर की दूरी उन्होंने एक घंटे में पूरी की थी.

हाईप्रोफाइल बन चुके बावला हत्याकांड मामले में जिन वकीलों को रुचि थी, उन में एक थे मोहम्मद अली जिन्ना. जिन्ना उस समय एक उत्साही वकील थे. 9 आरोपियों में से एक आरोपी आनंदराव फड़से ने जिन्ना को पत्र लिखा था. फड़से तुकोजीराव का संबंधी था और इंदौर की सेना में उच्च पद पर था. बावला हत्याकांड में आनंदराव सहित 9 लोगों को गिरफ्तार किया गया था. इन आरोपियों की ओर से जिन्ना ने मुकदमा लड़ा था.

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