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डाक्टर की बग्घी बहुत शानदार थी. उस में मोटे गद्दे और नरम कुशन लगे थे. बैठने और लेटने के लिए बड़ी आरामदायक जगह बनाई गई थी. एक काला सा आदमी डाक्टर का कोचवान था.

डाक्टर जव्वाद ने मुझ से यह नहीं पूछा कि मैं कौन हूं, कहां से आया हूं. मैं भी चुपचाप आंख बंद कर के लेटा रहा. कुछ देर बाद उस ने मुझे दूध के साथ दवा दी.

दवाई पी कर मैं ने बग्घी से उतरना चाहा तो मुझे एकदम से जोर का चक्कर आ गया. डाक्टर ने मुझे फिर लिटा दिया. कुछ देर बाद उस ने मुझे नाश्ता और कुछ फल खिलाए. फिर कहा, ‘‘अभी तुम लेटे रहो, चलनाफिरना मुश्किल है. तुम्हें बहुत कमजोरी हो गई है.’’

मैं सोचने लगा कि आहन और तूबा ने मुझे जहर क्यों दिया, उन से मेरी कोई दुश्मनी भी नहीं थी. मेरी आंखों में तूबा का खूबसूरत चेहरा घूम गया. मैं सोच भी नही सकता था कि हुस्न भी इतना जहरीला हो सकता है.

बग्घी वहां से रवाना हो गई. मेरा घोड़ा पीछे आ रहा था. एकाएक डाक्टर ने पूछा, ‘‘तुम्हें जहर किस ने दिया?’’

‘‘मैं एक फार्महाउस पर रुका था. वहां रहने वाले एक मियां बीवी के साथ खानापीना हुआ था. उन लोगों ने ही जहर दिया होगा.’’

‘‘उन से तुम्हारी कोई अदावत थी या कोई झगड़ा हुआ था?’’

‘‘न मेरी उन से कोई दुश्मनी थी न झगड़ा हुआ था, पता नहीं उन लोगों ने मेरे साथ ऐसा क्यों किया? वैसे मैं जिन की बात कर रहा हूं उन में मर्द मर्दाना खूबसूरती का नमूना था और औरत बेहद हसीन.’’

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