अनीता ने यहां भी पुराना तरीका अपनाया, जो उस ने सेठजी के खिलाफ अपनाया था. राजीव से फाइलों पर दस्तखत लेने के दौरान ज्वैलरी राइट के ट्रांसफर पर भी दस्तखत करा लिए.
सेठ चूंकि सोने के कारोबारी थे, इसलिए काफी मात्रा में सोना व काले धन अपने घर के तहखाने में ही रखते थे, जिस के बारे में उन्होंने किसी को नहीं बताया था. पर बुढ़ापे का प्यार बड़ा नशीला होता है. लिहाजा, उन्होंने अनीता को इस बारे में बता दिया था.
इस तरह कुछ दिन और गुजर गए. एक दिन राजीव ने अनीता से कहा, ‘‘अगले सोमवार को हम कोर्ट में शादी कर लेंगे. तुम ठीक 9 बजे आ जाना.’’
अनीता ने भी कहा, ‘‘मैं दफ्तर से छुट्टी ले लेती हूं, ताकि किसी को शक न हो.’’
फिर अनीता सेठजी के पास गई. उन्हें बताया, ‘‘सोमवार को राजीव कोर्ट में किसी विदेशी लड़की से शादी करने जा रहा है. मुझे उस ने गवाह बनने को बुलाया है.’’
सेठजी गुस्से से आगबबूला हो गए.
तब अनीता ने सेठजी को शांत करते हुए कहा, ‘‘कोर्ट पहुंच कर आप राजीव को एक किनारे ले जा कर समझाएं. शायद वह मान जाए. आप अभी होहल्ला न मचाएं. आप की ही बदनामी होगी.’’
सेठजी ने अनीता से कहा, ‘‘तुम सही बोलती हो.’’
सोमवार को राजीव कोर्ट पहुंच गया और अनीता का इंतजार करने लगा, तभी उस के सामने एक गाड़ी रुकी, जिस में अपने पिताजी को देख कर वह चौंक पड़ा.
सेठजी ने राजीव को एक कोने में ले जा कर समझाया, ‘‘क्यों तुम अपनी खानदान की इज्जत उछाल रहे हो? वह भी दो कौड़ी की गोरी मेम के लिए.’’