अपनी इसी योजना के तहत वह एक दिन सफेद साड़ी पहन कर सरकारी अस्पताल में गई. उस ने एड्स काउंसलर से एड्स पीडि़तों की सूची मांगी.
काउंसलर ने कहा, ‘‘वह लिस्ट तो नहीं दी जा सकती. क्योंकि उन के नाम गुप्त रखे जाते हैं.’’
मालती ने झूठ बोलते हुए कहा, ‘‘मैं एक एनजीओ से हूं और एड्स पीडि़तों के बीच काम करना चाहती हूं.’’
काउंसलर ने पूछा, ‘‘आप को काउंसिलिंग की परिभाषा भी मालूम है?’’
‘‘जी, 2 व्यक्तियों या समूहों के मध्य संवाद, जिस में एक जानने वाला दूसरे के डर एवं गलतफहमियां दूर करता है.’’
उस की बातों से काउंसलर ने संतुष्ट हो कर करीब 400 एचआईवी पौजिटिव पुरुषों की सूची उसे दे दी. काउंसलर ने हाथ मिलाते हुए कहा, ‘‘मैं आप की सेवा भावना से प्रमावित हूं.’’
धन्यवाद दे कर वह मालती बाहर आ गई.
लिस्ट पा कर मालती मन ही मन खुश हुई. इस के बाद मालती ने हर रात एक एड्स पीडि़त के साथ बिताई. फिर 3 महीने बाद उस ने स्वयं का एचआईवी टेस्ट करवाया. रिपोर्ट पौजिटिव आई तो मालती को सीमातीत प्रसन्नता हुई.
3 महीने बाद एक रात को मालती दिलावर के घर पहुंची. दिलावर उसे देख कर अचकचा गया. उस ने कहा, ‘‘इतनी रात को तुम यहां?’’
‘‘जी मेरे पति तो गुजर गए. मैं ने आवेश में अपनी बैंक नौकरी से भी इस्तीफा दे दिया. मैं बदनाम हो गई थी. अब आप का ही सहारा है.’’ वह बोली.
दिलावर खुश हो कर बोला, ‘‘सहारा मजबूत पेड़ का ही लेना चाहिए. महिलाओं की मनमोहक सुंदरता पुरुषों को आकर्षित करती है इसलिए वे खुद को संभाल नहीं पाते. मैं हैरान हूं कि तुम्हारा आकर्षण अभी तक बरकरार है. तुम्हारा स्वागत है.’’