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मायूसी बढ़ रही थी कि अचानक वायरलैस जाग उठा. दूसरी ओर मेरा सबइंसपेक्टर बोला, “हैलो साहब थोड़ी देर पहले जीप के इंजन की आवाज सुनाई दी थी. पर अब नहीं सुनाई दे रही है.”

मैं ने कहा, “हसन, हम जीप पीछे करते हैं, तुम फिर बताओ.”

हम धीरेधीरे जीप पीछे करने लगे. हम थोड़ा पीछे लौटे थे कि उस की आवाज आई, “जी साहब, अब आवाज आ रही है.” हम थोड़ा और पीछे चले तो उस ने कहा, “अब ज्यादा तेज आवाज आ रही है.” हम ने जीप वहीं रोक दी.

सामने एक बड़ी सी कोठी थी. अपने 2 सिपाहियों और एक सबइंसपेक्टर को बाहर होशियारी से ड्यूटी देने के लिए कह कर कहा कि अगर फायर की आवाज आए तो तुरंत अंदर आ जाना. इस के बाद मैं ने गेट से अंदर झांका. चौकीदार वगैरह नहीं दिखाई दिया. गैराज में एक कार खड़ी थी, चारदीवारी ज्यादा ऊंची नहीं थी. मैं आसानी से अंदर कूद गया. गहरा सन्नाटा और अंधेरा था. धीरेधीरे मैं कोठी की ओर बढ़ा.

अचानक मेरे ऊपर हमला हुआ तो मैं फर्श पर गिर पड़ा. उस के हाथ में कोई लंबी वजनी चीज थी. जैसे ही उस ने मारने के लिए उठाया, मैं ने जोर से उस के पेट पर एक लात मारी. चोट करारी थी, वह पीछे दीवार से जा टकराया. जल्दी से खड़े हो कर मैं ने देखा, उस के हाथ में बैट था. जैसे ही उस ने मारने को बैट उठाया, मैं ने तेजी से एक बार फिर उस के पेट पर लात मारी. वह गिर पड़ा तो एक लात और उस के मुंह पर जमा दिया.

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