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कल सुबह जब शायनी औफिस आई तो बहुत खुश थी बोली, “मां, बौस कह रहे थे अगर मैं ने उन की कंपनी को कौन्ट्रेक्ट दिलवा दिया तो जल्द ही मुझे प्रमोशन मिलेगी.’‘

उस के थोड़ी ही देर में शायनी का मैसेज आया कि आज कौन्ट्रेक्ट के लिए एक बहुत बड़े सेठ अवस्थी से मिलने जाना है. आज बहुत लेट हो जाएगी और मैं उस का इंतजार न कर के सो जाऊं, कल सुबह बात कर लेंगे. जैसे ही मैं ने अवस्थी नाम पढ़ा, मुझे घबराहट महसूस हुई. मैं ने शायनी को पूछा कि मीटिंग कब और कहां है तो उस ने मुझे बताया कि मीटिंग ओबराय होटल में रात को 10 बजे है.

यह सुन कर मेरा मन घबरा गया. उस समय अभी सुबह के 11 ही बजे थे और मैं उसी समय टैक्सी पकड़ कर मुंबई के लिए निकल पड़ी. मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि कैसे अपनी बेटी को उस दरिंदे से बचाऊं जो कि उसी का ही खून है.

मैं जैसे ही होटल पहुंची, लगभग 11 बज रहे थे. मैं पूरे रास्ते शायनी को फोन करती रही, मगर आज अचानक शायद उस का फोन खराब हो गया था. मैं ने रिसैप्शन पर अवस्थी का रूम पूछा तो उन्होंने बताने से इंकार कर दिया, बोले सर की मीटिंग चल रही है. मुझे कुछ आइडिया था ही कि शायद रूम का पता रिसैप्शन पर न बताएं, इसलिए एक शैंपेन की बोतल और केक भी रास्ते से ले कर साथ रख लिया था.

तब मैं ने एक नाटक रचा. उस केक और शैंपेन की बोतल को दिखा कर रिसैप्शन पर बैठी एक महिला से रिक्वेस्ट की कि अवस्थीजी मेरे पति हैं और वो बिजनैस में इतने बिजी रहते हैं कि अपना जन्मदिन तक भूल गए. मैं उन्हें सरप्राइज देने आई हूं.

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