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ऊपर से देख कर कोई पता नहीं लगा सकता था कि मीनाक्षी का अपार्टमैंट मंत्रीजी के अपार्टमैंट से गुप्त रास्ते से जुड़ा हुआ है.

मंत्रीजी के जाने के बाद नौकरानी भी चली गई. मीनाक्षी ने बजर दबाया. मंत्रीजी ने वार्डरोब में स्थित गुप्त दरवाजा खोल दिया.  मीनाक्षी मंत्रीजी के रूम में आ कर उन की बांहों में समा गई. फिर काफी देर तक उन के बीच प्रेमालाप का दौर चला. फिर दोनों संतुष्ट हो गंभीर मंत्रणा में खो गए.

‘‘आज एक नई बात सुनी है,’’ चेतन ने कहा.

‘‘क्या?’’

‘‘मुख्यमंत्री कामता प्रसाद तुम्हें अपने पाले में करना चाहता है.’’

‘‘फिर?’’

‘‘क्या इरादा है?’’ मीनाक्षी की आंखों में आंखें डालते हुए थोड़ी शरारत से मंत्रीजी ने पूछा.

‘‘उस के पाले में चली जाती हूं, अगर वह मुझे मंत्री या अपनी पत्नी बनाए तो,’’ उसी शोखी के साथ मीनाक्षी ने कहा.

‘‘मंत्री बनना तो समझ आता है मगर पत्नी बनना कैसे?’’

‘‘सीएम की पत्नी सुपर सीएम होती है,’’ इस समझदारी वाले जवाब पर दोनों ही खिलखिला कर हंस पड़े.

‘‘आप की अपनी मंजिल भी तो मुख्यमंत्री की कुरसी है,’’ थोड़ी देर रुक कर मीनाक्षी ने कहा.

‘‘पार्टी में अभी मेरे समर्थक कम हैं. समर्थक बढ़ाने में अभी समय लगेगा. कामता प्रसाद काफी पुराना और घाघ है.’’

‘‘पार्टी के बड़े नेताओं को अपने समर्थन में करने के लिए आप को क्या करना होगा?’’

‘‘ढेर सारे रुपए जुटाने पड़ेंगे, मजबूत लौबिंग करनी पड़ेगी. साथ ही हुस्न और शबाब का जलवा दिखाना पड़ेगा.’’

‘‘पैसे की बात समझ आती है मगर यह लौबिंग क्या होती है?’’

‘‘राजनीति पैसे के बिना नहीं चलती. रुपए बड़े व्यापारियों और उद्योगपतियों से मिलते हैं और अफसरशाही के समर्थन के बिना कोई भी राजनेता सफल नहीं होता.’’

‘‘मगर आप को अफसरशाही पूरा समर्थन दे रही है. व्यापारी भी रुपएपैसे दे रहे हैं.’’

‘‘वह सब राज्य स्तर पर है. मुख्यमंत्री बनने के लिए केंद्र स्तर पर समर्थन जरूरी है.’’

‘‘इस के लिए पहला कदम क्या है?’’

‘‘ये सब मिलनेजुलने से ही शुरू होता है. रुपए से ज्यादा हुस्न और शबाब का अपना असर है,’’ मंत्रीजी ने गहरी नजरों से अपने अंकपाश में समाई मीनाक्षी को देखते हुए कहा.

मीनाक्षी उन का इशारा समझ गई.

मंत्रीजी के साथ उन की विशेष सलाहकार ने राजधानी के विशेष दौरे शुरू कर दिए. मीनाक्षी के रूपयौवन से प्रभावित हो अनेक वरिष्ठ नेताओं ने चेतन के पक्ष में अपना मत बना लिया. उम्रदराज होते हुए भी अनेक वरिष्ठ नेताओं की भूख बरकरार थी. उन को मंत्रीजी की खासमखास ने बखूबी संतुष्ट किया.

व्यापारियों और उद्योगपतियों को उभरते नेता चेतन में अपना हित ज्यादा दिखा. अफसरशाही को भी चेतन में अपने हित ज्यादा सुरक्षित नजर आए.

पुराने मुख्यमंत्री पुराने विचारों के हैं उन के नेतृत्व में राज्य तरक्की नहीं कर सकता. उन को हटा कर नए विचारों का नेता लाना ही होगा.

मुख्यमंत्री या तो शक्तिपरीक्षण कर अपना बहुमत सिद्ध करे या त्यागपत्र दे. ऐसी मांग दिनप्रतिदिन की जाने लगी.

मजबूर हो कर वर्तमान मुख्यमंत्री को अपनी पार्टी के विधायकों व हाईकमान की राय लेनी पड़ी. सभी ने उन्हें नकार दिया और चेतन को नया मुख्यमंत्री बना दिया गया.

चेतन के साथ मीनाक्षी का रुतबा भी अपनेआप बढ़ गया. वह अब सुपर सीएम समझी जाती थी. उस के ब्यूटीपार्लर का क्रेज अपनेआप बढ़ गया था. अब वह मीनाक्षी से मीनाक्षी मैडम बन गई थी. साथ ही इज्जत में भी इजाफा हुआ था.

मैडम मीनाक्षी, अब ब्यूटीपार्लर में कम आती थी. मगर दक्षता से ग्राहकों को अरेंज किया जाता था. खास काम के लिए खास मैनेजर था. मैडम अब ‘मिस दस परसैंट’ थी. किसी भी काम को सुलझाने के लिए ली जाने वाली फीस का 10 प्रतिशत थी.

ऐसा काम आने पर मैडम के खास मैनेजर द्वारा पहले पार्टी को जांचापरखा जाता था. फिर उसे ‘सेफ’ समझ अपौइंटमैंट फिक्स होता. फिर मामला आगे बढ़ता. ‘स्पैशल ट्रीटमैंट’ के लिए पार्टी ऐडवांस फीस दे कर मैडम के अपार्टमैंट में स्थित विशेष ब्यूटीपार्लर आती.

मुख्यमंत्री भी थोड़ेथोड़े अंतराल पर स्पैशल ट्रीटमैंट के लिए या एकांत चिंतन के लिए अपने अपार्टमैंट आते. उन की विशेष सलाहकार उन का तनाव दूर करती.

मीनाक्षी के परिवार की आर्थिक स्थिति भी पूरी तरह से सुधर गई थी. उस के दोनों भाई शहर के पौश इलाके में कोठियों में रहते थे. वे बड़े व्यापारी थे. बहनें व जीजा भी सब तरह से संपन्न थे.

मगर मीनाक्षी खुद क्या थी? उस के पास अकूत पैसा था. अनेक नामीबेनामी संपत्तियां थीं. मगर उस का अपना वजूद क्या था?

हर कोई उस को एक ढकीछिपी  कौलगर्ल, वेश्या या दलाल ही समझता था. राजनीति में कोई स्थायी मित्र या शत्रु नहीं होता.

मीनाक्षी कभीकभी अपने मातापिता से भी मिलने जाती थी.

‘‘तेरे पास सबकुछ है, तू अब अपना घर क्यों नहीं बसाती?’’ मां के इस सवाल पर मीनाक्षी सोच में पड़ गई. कौन करेगा उस से शादी? क्या मुख्यमंत्री चेतन, जो उस की देह को इतने सालों से भोग रहा था, उस से शादी कर सकता था?

कितने छोटेबड़े राजनेता उस को भोग चुके थे. मगर इस सब में चेतन का ही हित था. क्या वह उस से शादी कर सकता था? क्या कोई बड़ा राजनेता, उद्योगपति, व्यापारी, बड़ा अफसर उस को अपनी पुत्रवधू या पत्नी बना सकता था? कोई शरीफ खानदान या परिवार उस को अपनी बहू कबूल कर सकता था?

सवाल सीधा था, साधारण था. मुख्यमंत्री थोड़ेथोड़े अंतराल पर स्पैशल ट्रीटमैंट के लिए मीनाक्षी के पार्लर में आते थे. कभीकभार विशेष सलाहकार के तौर पर मीनाक्षी को देश के कई भागों में या कभीकभी विदेशों में भी ले जाते थे.

मगर वह तो हर जगह विशेष नजरों से ही देखी जाती थी. मुख्यमंत्री की पत्नी साधारण शक्लसूरत की थी. मात्र मिडिल पास थी. मुख्यमंत्री 3 बच्चों के पिता थे.

साधारण मध्यवर्गीय परिवार से संबंध रखती मुख्यमंत्री की पत्नी सहज बुद्धि की थी. कभीकभी किसी दौरे पर, विदेश यात्रा पर मुख्यमंत्रीजी का परिवार और विशेष सलाहकार मीनाक्षी भी साथ होती थी.

मगर जो सम्मान या प्रतिष्ठा कम पढ़ीलिखी आम शक्लसूरत की मुख्यमंत्री की पत्नी को मिलती वह ऊंची पढ़ीलिखी बेहद खूबसूरत मीनाक्षी को नहीं मिलती थी क्योंकि हर कोई इस सचाई से वाकिफ था कि वह सीएम की ‘वो’ थी.

एक शाम सीएम रात्रि विश्राम के लिए मीनाक्षी के पास अपार्टमैंट में आए और सुबहसवेरे वे चले गए. साथ ही उन का लावलश्कर भी चला गया. मीनाक्षी को भी दूर के शहर में रिश्तेदारी में जाना था. सुबहसुबह वह भी चली गई.

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