करीमभाई ने जैसे ही फोन काटा. संयोग से उसी वक्त हारुन का फोन आ गया. उस ने कहा, ‘‘करीमभाई, तुम मेरे ही फोन का इंतजार कर रहे थे न?’’
‘‘काम की बात करो.’’ करीमभाई ने सख्ती से कहा.
‘‘बताइए, आप ने क्या फैसला किया?’’
‘‘कैसा फैसला?’’
‘‘यही कि आप रूमाना को वापस कर रहे हैं या नहीं?’’
‘‘यह अब मुमकिन नहीं है. वह मेरे बच्चे की मां बनने वाली है.’’ करीमभाई ने कहा तो हारुन हंसा, ‘‘तब तो मेरा मामला और भी मजबूत हो गया. अभी तक तो आप दोनों मुकर सकते थे, लेकिन अब बच्चे की वजह से इनकार नहीं कर सकते.’’
‘‘हारुन, तुम मेरे औफिस आ जाओ. हम मिलबैठ कर मसले का हल निकाल लेंगे. अदालत जाने से बात नहीं बनेगी. मैं तो बदनाम हो ही जाऊंगा, लेकिन तुम भी मुश्किल में पड़ जाओगे. तुम्हारा मकसद भी पूरा नहीं होगा.’’ करीमभाई ने नरमी से कहा.
‘‘आप दोनों सिर्फ बदनाम ही नहीं होंगे, आप दोनों पर मुकदमा भी चलेगा, शादीशुदा औरत से शादी करने का.’’
‘‘यह बात तो तुम भूल जाओ. तुम झूठ बोल सकते हो. मेरे पास दौलत है, मैं बड़े से बड़ा गवाह खड़ा कर सकता हूं. कई झूठे गवाह गवाही को तैयार हो जाएंगे. मैं साबित कर दूंगा कि तुम ने रूमाना को तलाक दे दिया है.’’
‘‘मि. करीम, यह इतना आसान भी नहीं है. दौलत मेरे पास भी है. मैं भी बड़े से बड़ा वकील कर सकता हूं, जो तुम्हारे गवाहों की धज्जियां उड़ा देगा.’’ उस ने सपाट लहजे में कहा.
‘‘इस तरह यह मामला बरसों चलेगा.’’
‘‘यही तो मैं चाहता हूं. अगर रूमाना मुझे नहीं मिलती है तो तुम भी सुकून से नहीं बैठ सकते. यह मीडिया का दौर है, हर चैनल पर मामला उछलेगा.’’