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वैगन आई तो हम लोग उस में बैठ गए. पिछली सीट पर मेरे साथ प्यानो वादक कैलर के अतिरिक्त और कोई नहीं था. वह इस तरह जड़ हुई बैठी थी, जैसे उसे लकवा मार गया हो.  स्टेशन वैगन शहर की तरफ जाने वाली सुनसान सड़क पर दौड़ रही थी. कैलर की वीरान निगाहें तेजी से पीछे भागते हुए दृश्यों पर जमी थीं.

अचानक वह इस तरह बड़बड़ाई जैसे अपने आप से मुखातिब हो और उस का दिलोदिमाग काबू में न हो, ‘‘मैं...मैं अपने आप को माफ नहीं कर सकती. इस की जिम्मेदार मैं हूं.’’ वह कुछ पल खामोश रही फिर बड़बड़ाई, ‘‘ओह, यह सब मेरी वजह से हुआ है. उस की कातिल मैं हूं.’’

यह बात मेरे लिए आश्चर्यजनक थी. वह मेरे सामने अपने आप को मुलजिम ठहरा रही थी. मैं समझ नहीं पा रहा था कि वह खुद को शिम्ट का कातिल क्यों समझ रही थी? और यह सब कुछ मुझे क्यों बता रही थी?

‘‘कत्ल? नहीं मिस कैलर, यह महज एक हादसा था और किसी को इस का जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता.’’ मैं ने उसे समझाने की कोशिश की.

‘‘नहीं, यह हादसा नहीं कत्ल है. अगर हम यह खेल शुरू न करते तो यह सब नहीं होता. हम इस खेल में शरीक थे, इसलिए किसी को भी इलजाम से बरी नहीं किया जा सकता.’’ वह पहले की तरह ही बड़बड़ाई.

‘‘मुमकिन है तुम्हारा ख्याल सही हो, लेकिन सब की पर्चियां नष्ट की जा चुकी हैं और अब यह अंदाजा लगाना मुश्किल है कि कातिल कौन है?’’ मैं ने कहा.

वह कुछ देर खामोशी से मेरी तरफ देखती रही, फिर हाथ मेरे सामने कर के मुट्ठी खोल दी. उस की हथेली पर कागज का एक पुरजा रखा हुआ था, जिस पर ‘कातिल’ शब्द लिखा हुआ था.

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