दुनिया में ऐसे बहुत सारे लोग हैं, जो चांद या मंगल पर जाना चाहते हैं यानी अंतरिक्ष में घूमना चाहते हैं तो ऐसे भी तमाम लोग हैं, जो यह जानना चाहते हैं कि आखिर समुद्र के अंदर क्या है? शायद इसी वजह से आज ऐसी कई कंपनियां बन गई हैं, जो इस तरह का टूरिज्म आयोजित करने लगी हैं. ऐसी ही एक कंपनी है ओशनगेट, जिस ने समुद्र के अंदर की दुनिया दिखाने के लिए एक पनडुब्बी बनाई थी, जिस का नाम था 'टाइटन'.

टाइटन पनडुब्बी कैप्सूल के आकार की थी. इसलिए लोग इसे कैप्सूल या टाइटन सबमर्सिबल भी कहते थे. इस का कद ट्रक के बराबर था. यह 22 फुट लंबी और 9.2 फुट चौड़ी थी. इस की बाहरी परत 5 इंच मोटी थी. यह कार्बन फाइबर से बनी थी. इस के अंदर कोई सीट वगैरह नहीं थी. इस में बाहर देखने के लिए सामने शीशा लगा था.

इस में जाने वाले अंदर बैठ जाते थे तो इसे बाहर से बंद किया जाता था. यानी इसे अंदर से न तो बंद किया जा सकता था और न ही अंदर से खोला जा सकता था. इस की यात्रा 8 घंटे की होती थी, इसलिए इस में सवार यात्रियों के लिए इस के अंदर ही आक्सीजन की व्यवस्था की जाती थी.

टाइटैनिक टूरिज्म के तहत टाइटैनिक का मलबा दिखाने ले जाने के लिए कंपनी 2 करोड़ रुपए से अधिक किराया लेती थी. यह पनडुब्बी समुद्र में शोध और सर्वे के भी काम आती थी. इसे पानी में उतारने और औपरेट करने के लिए पोलर प्रिंस वेसल जहाज का इस्तेमाल किया जाता था. इस पनडुब्बी की खास बात यह थी कि यह 13 हजार फुट से अधिक गहराई तक गोता लगा सकती थी, जबकि टाइटेनिक का मलबा 12 हजार फुट की गहराई पर पड़ा है.

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