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सभी न्यूज चैनल्स मंगी की मौत और उस के आखिरी लम्हों की वीडियो की फुटेज दिखा रहे थे. पुलिस की काररवाई पर भी सवाल खड़े किए जा रहे थे. कातिल ने अपने दावे के मुताबिक मंगी को अदालत में पुलिस के सामने मार दिया था. डीएसपी रंधावा और इंसपेक्टर भट्टी बारबार मंगी के आखिरी लम्हों की वीडियो देख रहे थे, क्योंकि कोई सुबूत हाथ नहीं आ रहा था.

रंधावा पूरे 38 घंटे बाद बिस्तर पर लेटा तो सुबह 7 बजे के अलार्म मोबाइल की सुरीली आवाज से जागा. मोबाइल अलार्म के साथ उस के जेहन में भी एक घंटी बजी. चाय पी कर रंधावा औफिस के लिए निकल पड़े. औफिस में एक बार फिर उन्होंने मंगी के कत्ल की वीडियो देखी. इस बार वीडियो देख कर उन के होंठों पर एक रहस्यमय मुसकराहट आई.

रात 8 बजे रंधावा जज आफाक अहमद के कमरे में बैठे थे. दोनों के बीच मंगी के रहस्यमय कत्ल पर बातचीत चल रही थी. आफाक अहमद ने कहा, ‘‘इस मामले में सब कुछ रहस्यमय है.’’

रंधावा ने मुसकराते हुए कहा, ‘‘जज साहब, आप बिलकुल सही कह रहे हैं.’’ इस के बाद दीवार पर नजर डालते हुए वह बोले, ‘‘इस पीतल की घड़ी के बगल में मार्क एंड बेंसन की स्विटजरलैंड मेड घड़ी लगी थी. वह नजर नहीं आ रही है?’’

‘‘वह खराब हो गई है.’’ जज साहब ने कहा.

दोनों दोस्तों की नजरें मिलीं. दोनों ही एकदूसरे के मिजाज और सोच के हर रंग से वाकिफ थे. रंधावा ने कौफी का घूंट भरते हुए कहा, ‘‘आफाक अहमद, तुम्हारी योग्यता का कोई जवाब नहीं. आखिर तुम ने इस केस को यादगार बना ही दिया.’’

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