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पीयूष के पिता ओमप्रकाश श्यामदासानी और चाचा मधुसूदन श्यामदासानी भी ज्योति के अपहरण से हतप्रभ थे. दोनों भाई पूरे परिवार के साथ ज्योति की खोज में जुट गए. श्यामदासानी परिवार के पास 12 लग्जरी गाडि़यां थीं, जो सब की सब ज्योति की खोज में कानपुर की सड़कों पर दौड़ने लगीं. इस बीच ओमप्रकाश श्यामदासानी ने ज्योति के मायके वालों को भी इस घटना की खबर दे दी थी.

अपहरण के समय ज्योति के पास मोबाइल फोन था, जो अभी तक औन था. उस के फोन की लोकेशन पता करने के लिए आईजी आशुतोष पांडेय तथा डीआईजी आर.के. चतुर्वेदी ने मैसेज भेजे, फोन की लोकेशन पनकी क्षेत्र में मिली. यह पता लगते ही पांडेय ने पनकी पुलिस को निर्देश दिया कि वह अपना सर्च औपरेशन तेज करे.

रात लगभग 2 बजे थाना पनकी की पुलिस ने आईजी आशुतोष पांडेय को बताया कि वांछित होंडा एकौर्ड पनकी के ई ब्लाक की एक गली में खड़ी है.

सूचना मिलते ही आईजी अपने अधीनस्थ पुलिस अधिकारियों के साथ वहां पहुंच गए. गाड़ी हालांकि लौक्ड थी, लेकिन उस की चाबी पास ही पड़ी मिल गई. पुलिस ने गाड़ी का दरवाजा खोला तो सब सन्न रह गए. कार की पिछली सीट पर ज्योति की खून से लथपथ लाश पड़ी थी.

उस के शरीर को चाकू से बुरी तरह गोदा गया था. गौर से देखने पर यह बात साफ हो गई कि हत्यारों का इरादा सिर्फ ज्योति के साथ लूटपाट करना नहीं था, बल्कि हत्या करना था.

छानबीन में ज्योति के ब्लैकबेरी मोबाइल का कवर गियर बौक्स के पास पड़ा मिला, जबकि उसका मोबाइल डैशबोर्ड पर रखा हुआ था. कार के अंदर एक कंपनी के घरेलू इस्तेमाल के 3 चाकू भी बरामद हुए.

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