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रसूखदार लोगों को देख कर पुलिस पीयूष को गिरफ्तार करने की हिम्मत नहीं जुटा पाई और औपचारिकता पूरी कर के वापस लौट आई.

लगभग आधे घंटे बाद पुलिस फिर पीयूष के घर पहुंची. सीओ राकेश नायक ने ओमप्रकाश श्यामदासानी को अपने विश्वास में ले कर उन से कहा, ‘‘पीयूष, जैसे आप का बेटा है, वैसे ही हमारा भी है. उस से हमें कुछ पूछताछ करनी है. हम उसे जैसे ले जाएंगे वैसे ही घर छोड़ जाएंगे.’’

ओमप्रकाश ने उन की इन बातों पर विश्वास कर लिया. इस के बाद नायक पीयूष को जीप में बिठा कर अपने औफिस ले आए. उन्होंने पीयूष को अपने कमरे में बिठा कर कमरा बंद कर लिया ताकि कोई भी पूछताछ में व्यवधान न खड़ा कर सके.

तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तक पहुंची बात

उधर पीयूष पुलिस के साथ सीओ औफिस गया तो चेयरमैन विजय कपूर कई रसूखदार लोगों के साथ वहां पहुंच गए. उन लोगों ने सीओ राकेश नायक के कमरे में जाने का प्रयास किया, लेकिन उन्हें सख्ती से रोक दिया गया. इस से उन लोगों को शक हुआ कि पीयूष के साथ सख्ती की जाएगी.

फलस्वरूप उसे बचाने के लिए राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गईं. स्थिति यहां तक पहुंच गई कि यह मामला तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तक जा पहुंचा. लेकिन पुलिस भी फूंकफूंक कर कदम रख रही थी, उस ने सबूतों के साथ पूरी जानकारी मुख्यमंत्री तक पहुंचा दी, जिस से नेताओं के हौसले पस्त हो गए.

इधर बंद कमरे में पुलिस ने पीयूष से पूछताछ शुरू की तो वह हर बात पर नहीं में गरदन हिलाता और रोने लगता. जब काफी देर तक यही क्रम चला तो पुलिस टीम ने उसे होटल की वीडियो क्लिप दिखाई और घटना वाले दिन की मोबाइल की काल डिटेल्स सामने रख कर उस से संबंधित सवाल पूछे.

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